हमर हिन्दू पंचांग में अगहन महीना के बहुत महत्व हे। कातिक के बाद अगहन मास में गुरुवार के दिन अगहन बिरस्पति के पूजा करे जाथे ।
भगवान बिरस्पति देव के पूजा करे से लक्ष्मी माता ह संगे संग घर में आथे।
वइसे भी भगवान बिरस्पति ल धन अऊ बुद्धि के देवता माने गे हे ।
एकर पूजा करे से लछमी , विदया, संतान अऊ मनवांछित फल के प्राप्ति होथे । परिवार में सुख शांति बने रहिथे । नोनी बाबू के जल्दी बिहाव तको लग जाथे ।
पूजा के विधान – गुरुवार के दिन पूजा ल विधि विधान से करना चाही । ए दिन मुंधरहा ले उठके नहा धो के बिरस्पति देव के पूजा करना चाही। बिरस्पति देव ल पीला रंग के वस्तु ह प्रिय हे ओकरे सेती पीला फूल, पीला मिठई, पीला चावल, चना के दाल अऊ केला के भोग चढ़हाना चाही ।
ए दिन दिनभर में एक बार ही भोजन करना चाही अऊ सच्चे मन से भजन पूजन करना चाही । एकर से बहुत लाभ होथे ।
बिरस्पति देव के कथा – एक गांव में एक गरीब बाम्हन रिहिसे। वोहा पूजा पाठ तो रोज करे फेर वोकर बाई ह निच्चट अढ़ही राहे। वोहा भगवान के पूजा पाठ करबे नइ करत राहे । महराज ह वोला बहुत समझाय फेर वोहा ओकर बात ल टाल दे ।
कुछ समय बाद ओकर घर में एक लड़की पैदा होइस। लड़की बहुत सुंदर अऊ गुनवान रिहिस । जइसे- जइसे लड़की बडे होत गीस ओकर सुंदरता ह बढ़त गीस । जब वोहा इस्कूल जाय के लइक होइस त ओला एक ठन इस्कूल में भरती करवा दिस । वो लड़की ह रोज भगवान के पूजा पाठ करे अऊ इस्कूल जाय । जब वोहा इस्कूल जाय तब अपन हाथ में एक मूठा जौं (जवाँ ) ल धर ले अऊ रस्ता भर छींचत छींचत जाय । इस्कूल ले जब घर वापिस आय त ओ जवाँ ह सोन के बन जाय राहेय वोला सकेलत आय ।सोन के जवाँ आय से ओकर मन के गरीबी ह दूर होगे ।
एक दिन वो लड़की ह जब जौं ल निमारत रिहिस त ओकर पिताजी ह बोलथे – बेटी सोन के जौं ( जंवा ) ल निमारे बर सोन के सूपा होतीस त बढ़िया होतीस ।
तब लड़की ह भगवान बिरस्पति देव से प्राथना करिस अऊ सोना के सूपा मांगीस । दूसर दिन जब वो लड़की इस्कूल से घर आत रिहिस त रस्ता में ओला सोन के सूपा मिलीस ।
एक दिन वो लड़की ह अपन घर में सोना के सूपा में जंवा ल निमारत रिहिसे ओतकी बेरा एक झन राजकुमार ह उही रस्ता से जात रिहिसे । वोहा लड़की के रुप ल देख के मोहित होगे।
घर में आ के राजकुमार ह अपन पिताजी ल बताइस अऊ वो लड़की से बिहाव करे के इच्छा जताइस । तब राजा ह बाम्हन देवता घर जाके लड़की के हाथ मांगीस अऊ खुसी खुसी बिहाव कर दीस ।
लड़की के बिदा होय के बाद धीरे धीरे महराज के घर में फेर गरीबी आ गे । काबर महराजीन के आदत ह सुधरेच नइ रिहिसे। वोहा पूजा पाठ करबे नइ करत रिहिसे।
तब लड़की ह अपन दाई ल समझाइस अऊ बिरस्पति देव के पूजा पाठ करे के विधि विधान बताइस ।
तब महराजीन ह रोज विधि विधान से पूजा करे अऊ धीरे धीरे धन के भंडार भरगे। ओकर गरीबी ह दूर होगे।
बोलो बिरस्पति देव की जय ।
महेन्द्र देवांगन “माटी” (शिक्षक)
गोपीबंद पारा पंडरिया
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